हीट वेव(Heat Wave) क्या है ?
- हीट वेव(Heat Wave) असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि है । इस अवधि में तापमान उत्तर पश्चिम तथा देश के कुछ अन्य भागोंमें ग्रीष्म ऋतु के दौरान रहने वाले संभाले अधिकतम तापमान अधिक होता है। हीट वेव(Heat Wave) आमतौर पर मार्च और जुन महीनों के बीच प्रभावित होती है, और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई तक भी बनी रहती है।
हीट वेव(Heat Wave) का निर्माण कैसे होता है ?
- जब किसी क्षेत्र के ऊपर बहुत दिनों तक उच्च दाब (High Pressure) बना रहता है, और उसके कारण शुष्क एवं गर्म वायु नीचे धरातल की ओर आती है, तब हीट वेव(Heat Wave) की परिघटना घटित होती है। जैसे-जैसे वायु अवतलित होती है, यह गर्म होती जाती है और धरातल पर पहुंचने तक अत्यधिक गर्म हो जाती है।
- यह गर्म वायु धरातल को शीघ्रता से गर्म कर देती है और इस प्रकार धरातल के तापमान के बढ़ते जाने से हीट वेव(Heat wave) की उत्पत्ति होती है। चुकी उच्च दाब क्षेत्र के केन्द्र आमतौर पर वर्षा- रहित होते हैं, इसलिए सीधे पढ़ने वाले सूर्य के प्रकाश से तापमान में और अधिक वृद्धि हो जाती है। जिससे हीट वेव(Heat Wave) का निर्माण होता है।
हीट वेव(Heat Wave) के कारण:
- धरातल पर प्रवाहित होने वाली शुष्क पवनों के साथ मरुस्थलों से प्रवाहित होने वाली गर्म पवनें।
- प्रति चक्रवात के परिणामस्वरुप मेघों के निर्माण एवं तड़ितझंझा की गतिविधियां नहीं होती हैं। इस कारण से तापमान का संतुलन न हो पाना।
- जलवायु परिवर्तन और भूमंडलीय तापन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि।
- दाब पट्टियों में परिवर्तन के कारण वायु धाराओं एवं मौसम प्रतिरूपों में परिवर्तन।
- ओजोन परत(Ozone Layer)का क्षरण।
- जेट धाराएं(Jet stream)।
हीट वेव(Heat Wave) के लक्षण:
- अत्यधिक गर्मी- क्षेत्र के औसत तापमान की तुलना में न्यूनतम 9 डिग्री सेल्सियस उच्च तापमान।
- आर्द्रता- उच्च तापमान पर वायु में अत्यधिक नमी की उपस्थिति अत्यंत असुविधाजनक हो सकती है।
- किसी क्षेत्र में न्यूनतम 5 दिनों के लिए तेज गर्मी।
- मृदा में लगी की कमी।
भारत में हिट वेव(Heat Wave) जोखिम:
- जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च दैनिक उच्च तापमान एवं अधिकाधिक लंबी, अधिक प्रचंड हीट वेव वैश्विक रूप से निरंतर घटित होने वाली घटनाएं बनती जा रही है। हिट वेव की बढ़ती घटनाओं की दृष्टि से भारत भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अनुभव कर रहा है। हिट वेव वर्ष दर वर्ष अधिक तीव्र होती जा रही है, और मानव स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव डालती हैं। परिणामस्वरुप हीट वेव(Heat Wave) के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।
- भारत में, अप्रैल से जून एक अलग हीट वेव(Heat Wave) की ऋतु है। जून दक्षिण- पश्चिम मानसून के आगमन का महीना है, इस महीने में प्रायद्वीपीय एवं मध्य भारत में ग्रीष्म ऋतू जैसी स्थितियां समाप्त होने लगती है, परंतु उत्तर भारत में बनी रहती है। जनसंख्या घनत्व, औद्योगिक गतिविधियों से प्रदूषण एवं इमारतों की उपस्थिति के कारण ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहर गर्म होते हैं।
- असाधारण ग्रीष्म तनाव एवं भारत में विद्दमान ग्रामीण जनसंख्या की अधिकता के कारण भारत हीट वेव के प्रति सूभेद्द है। हीट वेव देश के आंतरिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होती है। पहाड़ी क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत और तटीय क्षेत्र आमतौर पर हीट वेव अनुभव नहीं करते हैं।हीट वेव हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के क्षेत्र में प्रवाहित होती है।
हीट वेव(Heat Wave) के परिणाम
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मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- उच्च तापमान में उच्च आद्रता होने के होने पर शरीर से पसीना आसानी से वाष्पीकृत नहीं हो पाता है। परिणामस्वरुप शरीर ठंडा नहीं हो पता है, एवं शरीर का तापमान बढ़ता जाता है तथा अंततः व्यक्ति बीमार हो जाता है।
- हीट स्ट्रोक, गर्मी के कारण थकान तथा गर्मी के कारण शरीर में ऐंठन।
- जल की कमी, मतली, चक्कर आना, सिर दर्द।
- रासायनिक वायु द्वारा संचालित रोग।
- व्यक्ति की मृत्यु होना। हीट वेव सर्वाधिक प्राण लेने वाले प्राकृतिक आपदाओं में से एक है।
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प्रकृति पर प्रभाव:
- हीट वेव(Heat Wave) वायु और मृदा में आद्रता में कमी कर सुख की स्थिति उत्पन्न कर सकती है। मृदा में उपस्थित नमी वाष्पीकरण द्वारा तापमान में कमी करती है।
- कुछ प्रजातियां विलुप्त हो सकती है। कुछ नई ताप प्रतिरोधी प्रजातियों का उद्गम हो सकता है।
- कुछ जिवों की जीवन शैली और व्यवहार में बदलाव।
- हीट वेव के कारण खुले क्षेत्रों या वनों में आग लगने की घटनाएँ प्रायः घटित होने लगती है।
- महासागरों में प्रवाल विरंजन (ब्लीचिंग) में वृद्धि हो सकती है।
- फसलों की भारी क्षति के परिणास्वरूप भोजन की कमी ।
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अवसंरचना और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- गर्मी, बढ़ती ऊर्जा की मांग के कारण उत्पन्न दबाव को सहन करने की अवसंरचना के सामर्थ्य का परीक्षण करती है। गर्मी के कारण विद्युत पारेषण(Transmission) लाइनों में फैलाव आ जाता है।
- परिवहन सेवाएं प्रभावित हो जाती है।
- श्रम क्षमता में कमी आती है।
भारत में हीट वेव(Heat Wave) के मानदंड:
भारत मौसम विज्ञान विभाग(India Meteorological Department) ने हीट वेव(Heat Wave) के संबंध में निम्नलिखित मानदंड निर्धारित किए है: जब तक मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस तक ना पहुंच जाए, तब तक हीट वेव(Heat Wave) पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- किसी स्थान का अधिकतम सामान्य तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम या उसके बराबर होने की स्थिति में –
- सामान्य तापमान से 5 से 6 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक तापमान पर हीट वेव की स्थिति होती है।
- सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक तापमान पर प्रचंड हीट वेव की स्थिति होती है।
- किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की स्थिति में –
- सामान्य तापमान से 4 से 5 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक तापमान पर हीट वेव(Heat Wave) की स्थिति होती है।
- सामान्य तापमान से 6 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक तापमान पर प्रचंड हीट वेव की स्थिति होती है।
- वास्तविक अधिकतम तापमान 45डिग्री सेल्सियस या अधिक रहे तो हीट वेव(Heat Wave) की घोषणा की जाली चाहिए। ऐसी स्थिति में सामान्य अधिकतम तापमान का संदर्भ नहीं लिया जाता है।
हीट वेव(Heat Wave) संबंधी संकट के रोकथाम संबंधी उपाय:
- हीट वेव की रोकथाम एवं शमन(Mitigation) के लिए 4 मानदंड महत्वपूर्ण है:
- हीट वेव का पूर्वानुमान तथा पूर्व चेतावनी प्रणाली की व्यवस्था करना।
- हीट वेव संबंधी आपात स्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का क्षमता निर्माण।
- विभिन्न माध्यमों से समुदाय तक पहुंचे और
- एजेंसियों के मध्य सहयोग तथा उसे क्षेत्र में स्थित अन्य नागरिक सामाजिक संगठनों के साथ साझेदारी।
- शहर में हीट वेव(Heat Wave) के प्रति सुभेद्द उच्च जोखिमयुक्त क्षेत्रों की एक सूची तैयार करना, जिससे गर्मी से बचाव के संबंध मेंअधिक केंद्रित गतिविधियों का संचालन किया जा सके। उदाहरण हेतु ‘हीट एक्शन प्लान’(HAP) का अंगीकरण।
- सड़क किनारों जैसे हॉटस्पॉट क्षेत्रों में वृक्षारोपण अभियान आरंभ करना तथा जून में वृक्षारोपण पर्व के दौरान ग्रीन कवर गतिविधि प्रारंभ करना।
- शहर के चारों ओर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में शीतलन केंद्र जैसी सुविधाओं की स्थापना पर विचार करना।
- जन जागरुकता: महिलाओं सहित सुभेद्द समुदायों को सूचना प्रदान करने और सक्रिय रूप से मुख्य धारा में सम्मिलित करने हेतु सामुदायिक समूह तथा महिला आरोग्य समिति, सेल्फ- एंप्लॉयड विमेंस एसोसिएशन(SEWA), ASHA कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी में कार्यरत लोगों को संगठित करने वाली संस्थाओं तथा नगर परिषद के साथ मिलकर प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करना तथा लोगों तक पहुंच बनाना। समुदायों तक पहुंच में वृद्धि करने के लिए उच्च शिक्षा, गैर लाभकारी संगठनों जैसे अन्य क्षेत्रों तथा सामुदायिक नेताओं को इसमें समाविष्ट करना।
- पर्यावरण संरक्षण: सतत पर्यावरण कार्य – प्रणालियों को अपनाना।
हीट वेव(Heat Wave) प्रबंधन में विद्यमान चुनौतियां:
- उप – जिला स्तर पर उपलब्ध आंकड़ों के प्रयोग से किए जाने वाले शोध का अभाव। इससे अपेक्षाकृत अधिक लक्षित भौगोलिक हस्तक्षेप की सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र की पृथक सुचियॉं प्राप्त नहीं हो पाती है।
- शहर के भीतर सुभेद्दता प्रतिरूप प्रदान करने हेतु शहरी वार्डों के स्तर के आंकड़ों का सीमित विश्लेषण।
- सार्वजनिक संदेश संप्रेषण (रेडियो TV) मोबाइल फोन आधारित टेक्स्ट मैसेज, स्वचालित फोन कॉल तथा चेतावनियों जैसे उपलब्ध प्रावधानों का निम्न सक्रिय उपयोग।
- परंपरागत अनुकूलन प्रणालियों, यथा घर के भीतर रहना, आरामदायक वस्त्र पहनना आदि से संबंधित जागरूकता में कमी।
- सरल डिजाइन संबंधी विशेषताओं यथा अच्छा आच्छादित खिड़कियाँ, भूमिगत जल – संचय टैंकों तथा रोधक गृह – निर्माण सामग्रियों आदि को लोकप्रिय बनाने का अधूरे मन से किया गया प्रयास।
- आवासीय परिसर तथा घर के अंदर स्थित पर प्रसाधन कक्षों के भीतर पेयजल व्यवस्था की अनुपलब्धता।
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