अक्टूबर 2023 के मध्य मुंबई में ग्लोबल मैरिटाइम इंडिया समिट – 2023 (GLOBAL MARITIME SUMMIT- 2023) केतीसरे संस्करण का आयोजन किया गया। समिट के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के समुद्री ब्लू इकोनॉमी (Blue economy)के लिए एक ब्लूप्रिंट अमृत काल विजन 2047 का अनावरण किया।
ब्लू इकोनामी BLUE ECONOMY क्या है:
ब्लू इकोनॉमी (BLUE ECONOMY) का अर्थ महासागरों की आर्थिक क्षमता का टिकाऊ तरीके से दोहन करने से है।
विश्व बैंक (World Bank) के अनुसार ब्लू अर्थव्यवस्था (Blue Economy) समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग है ।
ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया सम्मिट- 2023
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अमृत काल विजन 2047 नामक ब्लूप्रिंट में बंदरगाह सुविधाओं को बढ़ाने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से रणनीतिक पहल की रूपरेखा तैयार की गई है।
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इस सम्मेलन का मुख्य विषय हार्नेंसिंग द ब्लू इकनॉमी(Harnessing the Blue Economy) तथा इसका मूल मंत्र मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड(Make in India – Make for the world) था।
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यह तीसरी ग्लोबल मैरिटाइम इंडिया समिट थी। इसका प्रथम संस्करण वर्ष 2016 में मुंबई में जबकि दूसरा संस्करण 2021 में वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया था।
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प्रधानमंत्री ने 23,000 करोड रुपए से अधिक मूल्य की परियोजनाओं की आधारशिला रखी जो भारतीय समुद्री ब्लू अर्थव्यवस्था Blue Economy के लिए अमृत काल विजन 2047 के अनुरूप हैं।
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प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित भारत मध्य पूर्व यूरोपीय आर्थिक गलियारे(India-Middle East-Europe Economic Corridor)
के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला।
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यह परियोजनाएं व्यावसायिक लागत को काम करेगी, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाएगी, लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार करेगी और रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
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सरकार का समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह (Port for Prosperity and Port for Progress) का दृष्टि को आर्थिक उत्पादकता पर ध्यान देने के साथ परिवर्तनकारी परिवर्तनों की शुरुआत कर रहा है।
ब्लू इकनॉमी का महत्व:
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खाद्य सुरक्षा: मत्स्य पालन और जलीय कृषि, ब्लू इकनॉमी Blue Economy के अभिन्न अंग हैं, जो दुनिया के प्रोटीन स्रोतों का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करते हैं।वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए इन क्षेत्रों में सतत अभ्यास आवश्यक हैं।
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आर्थिक वृद्धि- ब्लू इकोनॉमी Blue Economy न केवल भारत के तटीय पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक सहयोग में वृद्धि करेगी बल्कि जैसे-जैसे भारत अधिक विकसित होगा, ब्लू इकोनॉमी के आधार पर समुद्री सुरक्षा को और अधिक रणनीतिक आयाम प्राप्त होंगे।
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पर्यटन और मनोरंजन- तटीय और समुद्री पर्यटन को वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। ब्लू इकोनॉमी Blue Economy पर्यटनऔर मनोरंजन के अवसरों को बढ़ाती है तटीय क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करती है और संरक्षण जागरूकता को बढ़ावा देती है।
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पर्यावरण संरक्षण- जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देकर, ब्लू इकोनॉमी Blue Economy समुद्री जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रके संरक्षण को समर्थन करती है। स्वस्थ महासागर जलवायु विनियमन और कार्बन पृथक्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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नवीकरणीय ऊर्जा- तरंग ऊर्जा, ज्वारीय, अपतटीय पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास को प्रोत्साहन करती है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भर निर्भरता कम करती हैं, परिवहन और व्यापार- वैश्विक व्यापार के लिए एक जीवन रेखा है समुद्री नौवहन। कुशल और टिकाऊ समुद्री परिवहन वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
ब्लू इकोनॉमी के मार्ग में चुनौतियां:
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गहरे समुद्र में खनिजों और संसाधनों की खोज में तकनीकी बाधाएं इस क्षेत्र में अनुसंधान गतिविधियों को बाधित करती है। उदाहरण के लिए- पॉलीमटैलिक नूड्यूल्स, ड्यूटेरियम ऑक्साइड आदि एकत्रित करने में आने वाली चुनौतियां।
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मुख्य अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान होने के कारण जलीय गतिविधियों की अनदेखी की गई है, जिससे इस क्षेत्र का पर्याप्त विकास नहीं हो सका है।
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ब्लू इकोनॉमी Blue Economy की कोई ठोस परिभाषा नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय नियम और मानदंड अभी भी विकसित हो रहे हैं।
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समुद्री डकैती, नशीली दावों की तस्करी, हथियारों के व्यापार तथा मानव तस्करी संबंधित व्यापक गतिविधियां समुद्री सुरक्षा के मार्ग में बाधक है।
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समुद्री जीवन, समुद्री जीव जंतुओं के आवास तथा समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के अवांछनीय प्रभाव उजागर हो रहे हैं, जिससे ब्लू इकोनॉमी Blue Economy के प्रभावित होने की संभावना है।
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समुद्री गतिविधियों के कारण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रदूषण, महासागर का गर्म होना, सुपोषण, अमलीकरण और मत्स्य पालन का पतन हुआ है।
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महासागर लगभग एक अज्ञात क्षेत्र है, और वित्तीय संसाधनों द्वारा सहायक ही कभी इसे समझा जाता है। इसलिए बड़े पैमाने पर किफायती दीर्घकालिक वित्तपोषण उपलब्ध कराने में संस्थानों की तैयारी लगभग शून्य है।
BLUE ECONOMY को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की पहलें:
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सागरमाला परियोजना– इस परियोजना में न्यूनतम बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार दोनों के लिए लागत को कम करने की प्रक्रिया की गई है जिससे ब्लू इकोनामी को बढ़ाना मिलेगा।
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तटीय आर्थिक क्षेत्र(CEZ)– तटीय आर्थिक क्षेत्र की पहचान सागरमल कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना में की गई है, और इसका उद्देश्य उद्यमियों को व्यवसाय स्थापित करने के लिए बंदरगाहों के पास बुनियादी ढांचे और सुविधाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देना है।
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हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association)– भारत हिंद महासागर के तटीय देशों के बीच ब्लू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
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मत्स्य संपदा योजना- यह प्रमुख योजना मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास पर केंद्रित है, जिसका लक्ष्य मत्स्य पालन की क्षमता का जिम्मेदारी से दोहन करके नीली क्रांति लाना है।
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डीप ओशन मिशन- भारत की ब्लू इकोनामी Blue Economy के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए गहरे महासागरों से जीवित और निर्जिव संसाधनों के दोहन हेतु प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए यह मिशन लॉन्च किया गया था।
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भारत नॉर्वे टास्क फोर्स- वर्ष 2020 में इसका उद्घाटन किया गया, यह टास्क फोर्स नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, संयुक्त पहल को विकसित करने और उसका पालन करने के लिए भारत और नार्वे के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
Deep Ocean Mission:
यह भारत की एक महत्वपूर्ण योजना है जिसकी अवधि 2021 से 2026 तक है, इसे दो चरणों में लागू किया गया है। इसके तहत भारत की ब्लू अर्थव्यवस्था Blue Economy को बढ़ावा मिलेगा जिसमें निम्नलिखित कार्य (अन्वेशन) शामिल है।
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मत्स्य पालन, पर्यटन और समुद्री परिवहन, नवीकरणीय ऊर्जा, जलीय कृषि, गहरे महासागर में सर्वेक्षण और अन्वेंशन ।
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जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी की नवाचार, पानी के नीचे काम के लिए रोबोटिक प्रौद्योगिकी का विकास, महासागरों से ताजा पानी और उर्जा उत्पन्न करना।
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समुद्र के स्तर, तीव्रता और तूफानों की आवृत्ति पर शोध करना। महासागर और जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास ।
कोबाल्ट, निकेल, कॉपर और मैगनीज जैसी रणनीति खनिजों का शोध और दोहण करना ।
समुद्रयान परियोजना:
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यह भारत का पहला मानव क्रू मीशन है, जो गहरे समुद्र में तीन यात्रियों को ले जाने में सक्षम। यह लगातार 12 घंटा तक ऑपरेशन कर सकती है, और आपातकालीन मामलों में यह यान 96 घंटे तक ऑपरेशन कर सकती है।
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इसका मत्स्य 6000 (MATSYA6000) का ट्रायल चेन्नई के पास समुद्र में हुआ।और यह 6000km गहराई तक सफलता सेकम कर चुकी है।और जल्द ही इसे और गहराई में लॉन्च किया जायेगा।
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इसका मुख्य कार्य समुद्र तल से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स को इकट्ठा करना है। यह समुद्र तल में 6000 वर्ग किलोमीटर गहराई को कवर करेगा।
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चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने MATSYA6000 का डिजाइन तैयार किया है। इससे भारत का दुनियाभर में एक अलग पहचान और सम्मान बढ़ेगा ।
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इस परियोजना से भारत की ब्लू अर्थव्यवस्था Blue Economy को भी बढ़ावा मिलेगा।
समुद्रयान मिशन का लक्ष्य:
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मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75 हजार किलोमीटर क्षेत्र से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स का खनन करना है।
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समुद्र में गैस हाइड्रेटस, हाइड्रो – थर्मल सल्फाइड कोबाल्ट की खोज करना है।
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जलवायु परिवर्तन की संरचनाओं पर अनुसंधान कार्य करना भी है।
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ज्वरीय उर्जा संयंत्र स्थापित करने में, शोध कार्यों में भी इसका उपयोग आयेगा।इस मिशन का 2026 तक सकार होने की उम्मीद है।
भविष्य की राह:
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इंडो – पैसिफिक क्षेत्र में SAGAR, IORA, BIMSTEC, SAARC जैसी पहलों के माध्यम से ब्लू डिप्लोमेसी कैडर का पर्याप्त विकास किया जाना चाहिए।
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बंदरगाहों, जहाज निर्माण उद्योग, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, नौसैनिक अड्डों के संदर्भ में ब्लू इकोनॉमी से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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हिंद महासागर में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन और महासागर सेवाएं, मॉडलिंग अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (O-SMART) रणनीति को कुशलतापूर्वक लागू किया जाना चाहिए।
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तटीय सुरक्षा बलों को गैर- पारंपरिक सुरक्षा गतिविधियों के तहत प्रदूषण संबंधी घटनाओं की रोक, अवैध शिकार का विरोध करने तथा खोज एवं बचाव जैसे कार्यों में भी प्रमुख भूमिका निभानी होगी।
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