पुनर्जागरण (Renaissance) UPSC 2024 Free Mains Notes

पुनर्जागरण (Renaissance)

पुनर्जागरण (Renaissance)का शाब्दिक अर्थ होता है, फिर से जागना, पुनर्जीवित होना आदि। पश्चिमी सभ्यता के विकास में इसका संबंध14वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य हुई उस सांस्कृतिक प्रगति से है, जो प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यता एवं संस्कृति से प्रभावित थी।

पुनर्जागरण (Renaissance) फ्रेंच (French) भाषा का शब्द है।पुनर्जागरण को परिभाषित करते हुए हमें निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए:-

  • यह चेतना मात्र अध्ययन की एक प्रणाली थी या विशेष मनोवृति भी थी ?
  • पुनर्जागरण चेतना का मध्य युग से जुड़ाव था या यह मध्य युग से पूर्णता पृथक थी ?
  • इसकी अभिव्यक्ति केवल कला एवं साहित्य में हुई या राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य कई क्षेत्रों में भी हुई।
  • क्या इसका स्वरूप सभी यूरोपीय देशों में समान रहा ?

पुनर्जागरण (Renaissance) के लक्षण:

  • पुनर्जागरण ने मनुष्य का बौद्धिक विकास करते हुए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को तर्क की कसौटी पर रख कर देखने की दृष्टि विकसित कीहै।
  • इसके माध्यम से व्यक्तिवाद एवं आलोचनावाद को महत्व प्रदान किया गया।
  • पारलौकिक के स्थान पर लौकिक (सांसारिक जीवन) को केंद्र में लाया गया।
  • सार्वभौमिकता एवं तर्क बुद्धिवाद का उद्भव एवं विकास हुआ।
  • इस समय दर्शन एवं चिंतन के केंद्र में ईश्वर के बजाय मानव एवं प्रकृति को प्रमुखता दी जाने लगी।

पुनर्जागरण (Renaissance) का कारण:

  • सामंतवाद (Feudalism) के पतन की शुरुआत होते ही पुनर्जागरण के तत्वों को बढ़ाने का मौका मिला, क्योंकि सामंतवाद के रहते हुएतत्कालीन रूढ़िवादी व्यवस्था में किसी प्रकार का बौद्धिक, सांस्कृतिक परिवर्तन संभव नहीं था।
  • 15वीं और 16वीं दी भौगोलिक खोजो की साड़ी थी। इन खोजों के द्वारा विश्व के विभिन्न क्षेत्रों का एकीकरण प्रारंभ हुआ। इसे वर्तमानभूमंडलीकरण (Globalisation) की प्रक्रिया के प्रारंभ के रूप में भी देखा जा सकता है।
  • 1487 ई. में बार्थोलोम्यू डियाज (Bartolomeu Dias) अफ्रीका के तट पर पहुंचा जिसे केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope)  का नाम दिया गया। इसी रास्ते से होकर 1498 ई. में वास्कोडिगामा भारत पहुंचा था।
  • विशाल मंगोल साम्राज्य के दरबार में एशिया और यूरोप के मध्य संपर्क स्थापित होने से भी पुनर्जागरण को प्रेरणा मिली। प्रसिद्ध कुबलई खाँ का दरबार विद्वानों, धर्मप्रचारकों एवं व्यापारियों का केंद्र था। मंगोल दरबार में जाने वाले इन व्यक्तियों में वेनिस निवासी मार्कोपोलो (Marcopolo) का नाम प्रसिद्ध है।
  • पुराने विचार – पद्धति में अरस्तु (Aristotle) के दर्शन की प्रधानता थी, किंतु 13वीं शताब्दी के प्रसिद्ध विचारक रोजर बेकन (Roger Becon) ने इसका विरोध किया।
  • बेकन ने कहा, यदि मेरा वश चलता तो मैं अरस्तु के सारे ग्रंथों को आग में फेंक देता, क्योंकि इसके अध्ययन से एक तो वृहद समय नष्ट होता है और दूसरे मिथ्या विचारों के उदय होने के कारण अज्ञानतरण में वृद्धि होती है।
  • इसमें से अनेक विद्वान इटली के स्कूल तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्त हुए और नवीन चेतना के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

पुनर्जागरण (Renaissance) का जन्म स्थल: इटली

पुनर्जागरण Renaissance
पुनर्जागरण Renaissance
  • पुनर्जागरण जिस प्राचीन मानवतावादी प्रवृत्तियों से प्रेरित था, वे सारी प्रवृत्तियां रोम में मौजूद थी। चुकी रोम (Rome) इटली का ही एक नगर था, इसलिए प्राचीन रोमन साम्राज्य के अवशेष इटली में बिखरे पड़े थे।
  • इटली में रोम के वेटिकल (Vatican) नामक स्थान पर पोप का निवास था। पोप ईसाई धर्म का प्रधान था। कुछ पोप ने पुनर्जागरण की भावना से प्रेरित होकर विद्वानों तथा कला एवं साहित्य को संरक्षण प्रदान किया। इस दौरान पोप निकोलस पंचम (1447-1455) ने वेटिकल पुस्तकालय की स्थापना की और सेंट पीटर के गिरजाघर को बनवाया।

इटली से पुनर्जागरण (Renaissance) का प्रारंभ होने के कारण:

  • इटली की भौगोलिक अवस्थिति।
  • रोम में प्राचीन रोमन सभ्यता का केंद्र होना।
  • सामंतवाद का पतन।
  • इटली में विकसित नहीं सामाजिक संरचना।
  • कुछ पोप द्वारा पुनर्जागरण का समर्थन।
  • इटली में हुआ सांस्कृतिक विकास।
  • शिक्षा का व्यवसायीकरण, रूढ़िवादिता की समाप्ति एवं तर्क व विज्ञानवाद का प्रसार।
  • धर्म आधारित साहित्य के स्थान पर मानव आधारित साहित्य की रचना।
  • कुस्तुनतुनिया के पतन के पश्चात वहाँ के विद्वानों का इटली की ओर पलायन।

पुनर्जागरण (Renaissance) की विशेषताएँ:

मानवतावाद (Humanism)

  • यूरोप की मध्यकालीन सभ्यता कृत्रिमता और कोरे आदर्श पर आधारित थी, सांसारिक जीवन को मिथ्या बतलाया जाता था। यूरोप के विश्वविद्यालय में यूनानी दर्शन का अध्ययन होता था।
  • रोजर बेकन (Roger Bacon) ने अरस्तु (Aristotle) की प्रधानता का विरोध किया और तर्कवाद के सिद्धांत (The Principal of Rationalism) का प्रतिपादन किया। इससे मानवतावाद का विकास हुआ। मानवतावादियों (Humanists) ने चर्च और पादरियों के कट्टरपंथी आलोचना की।
  • मानवतावाद पुनर्जागरण की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है। इसे पुनर्जागरण का मूल आधार भी कहा जा सकता है।
  • ग्रीक वैज्ञानिक पाइथागोरस (Pythagoras) द्वारा कहा गया यह कथन की, मानव ही सभी वस्तुओं का मापदंड है, से मानवतावाद को परिभाषित किया जा सकता है।

पुनर्जागरण के तत्व (Elements of Renaissance)-

  1. जिज्ञासा एवं खोजी दृष्टि का उदय
  2. साहसिक मनोभावों का उदय
  3. व्यक्तिवाद – 15वीं सदी में एक निजी व्यक्ति के रूप में मानव पर, जो मुख्यत: अपने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक हितों और अपने विकास से अधिक संबंध था। नए सिरे से बल दिया गया। आत्मतुष्टी और अपनी उपलब्धियों से गौरव की अनुभूति व्यक्तिवाद का सार है। सेलिनो नामक कलाकार ने अपनी आत्मकथा लिखी।
  4. मानवतावाद –  एक ढंग से मानवतावाद के दो अर्थ है – तकनीकी एवं साधारण। तकनीकी अर्थ में मानवतावाद एक अध्ययन का कार्यक्रम है जिसके द्वारा मध्य युग की रूढ़िवादी तर्क- शास्त्र और अध्यात्म के अध्ययन के स्थान पर भाषा, साहित्य, इतिहास और नीति शास्त्र के अध्ययनों पर जोर दिया जाता है। साधारण अर्थ में एक ऐसी विचारधारा जिसके द्वारा मानव का गुणगान, उसकी सारभूत मान मर्यादा पर बल, उसकी अपार सृजन शक्ति में अटूट आस्था और व्यक्ति की अहरनिय अधिकारों की घोषणा ही मानववाद का सार है। यह दैवीय तथा पारलौकिक के स्थान पर मानवीय तथा प्राकृतिक को गौरान्वित करता है।
  5. धर्मनिरपेक्षता – परंतु यहां धर्मनिरपेक्षता का अर्थ पेगन अथवा गैर ईसाई होना नहीं है। धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य है – 1. सांसारिक कार्यों में अधिक अभिरुचि लेना एवं। 2. वैसे पादरियों की आलोचना जो आत्मत्याग की बात करते हैं परंतु उनका पालन नहीं करते।
  6. आत्म – चेतना
  • पुनर्जागरण के समस्त विशेषताएँ एक प्रकार से मानवतावाद को ही अभिव्यक्त करने का माध्यम है। मानवतावादी विचारकों की एक विशेष परंपरा भी रही है, जिसमें प्लेटो, अरस्तु, वर्जिल, सिसरो, पेट्रार्क आदि महत्वपूर्ण है।
  • फ्रांसिस्को पेट्रार्क (Francesco Petrarca) को मानवतावाद का पिता (Father of Humanism) कहा जाता है।

आधुनिक शिक्षा (Modern Education)

  • शिक्षा और साहित्य पर पुनर्जागरण का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था। मानवतावादी दृष्टिकोण के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। नई शिक्षा पद्धति में व्याकरण, कविता, नीति और इतिहास जैसे विषय शामिल हुए।
  • यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की स्थापना होने लगी थी। स्पेन के विश्व प्रसिद्ध कार्डोवा विश्वविद्यालय ने यूरोप में नवीन विचारों का प्रचार प्रसार किया। दांते, पेट्रार्,क टॉमस मूर जैसे साहित्यकारों ने प्राचीन ग्रंथो का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करके सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया।

छपाई (Printing)

  • मध्यकाल में अरबों के माध्यम से यूरोपवासियों ने कागज बनाने की कला सीखी। 12वीं शताब्दी में अरब के लोगों ने यूरोप को चल मुद्रण की उन तकनीकों से परिचित कराया जिनका विकास 11वीं सदी में चीनियों द्वारा किया गया था।
  • 15वीं शताब्दी के मध्य में जर्मनी के गुटेनबर्ग नामक व्यक्ति ने प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया और फिर धीरे-धीरे इटली, जर्मनी, स्पेन तथा फ्रांस में इस यंत्र का प्रयोग होने लगा। कागज और मुद्रण तकनीक के विकास ने ज्ञान पर विशिष्ट लोगों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया।

धर्मनिरपेक्ष का प्रारम्भ

  • धर्मनिरपेक्षता (Secularism) पुनर्जागरण की एक महत्वपूर्ण विशेषता रही है। धर्मनिरपेक्षता से तात्पर्य है, धार्मिक आडंबरों और अंधविश्वासों को दूर करना तथा मनुष्य के जीवन को धर्म के नियंत्रण से मुक्त कर इहलौकिक जीवन (सांसारिक जीवन) पर बल देना।

विवेक/ तर्क बुद्धि का प्रसार

  • आधुनिक शिक्षा के प्रभाव तथा वैज्ञानिकता के प्रसार से मनुष्य में तर्कबुद्धि का विकास होने लगा। लोगों में मनुष्य की बौद्धिक तथा और नैतिक क्षमता में विश्वास बढ़ने लगा। अब सभी तत्वों को तर्क एवं विज्ञान की कसौटी पर परख कर देखा जाने लगा।

पुनर्जागरण का प्रभाव:

आर्थिक प्रभाव (Economic Effect)

पुनर्जागरण Renaissance Gild system
पुनर्जागरण Renaissance Gild system
  • वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति ने औद्योगीकरण के नए युग का आधार तैयार किया।
  • मध्ययुगीन गिल्ड व्यवस्था (Guild System) (शिल्पियों की श्रेणी) के स्थान पर पूंजीवादी व्यवस्था (Capitalism System) का आगमन हुआ।

राजनीतिक प्रभाव (Political Effect)

  • राष्ट्र – राज्यों के अंतर्गत जिस राजनीतिक संरचना का विकास हुआ, उसकी मूल विशेषता थी- सामंती व्यवस्था के स्थान पर राजा के पास सर्वोच्च शक्ति का होना। इससे एक राष्ट्रीय राजतंत्र का विकास प्राम्भ हुआ।
  • राजनीतिक कार्यों में पोप का हस्तक्षेप अनुचित बताया गया।मैकियावेली (Niccolo Machiavelli) ने द प्रिंस (The Prince) नामक पुस्तक में आधुनिक राजव्यवस्था के चिंतन की शुरुआत की।

सामाजिक प्रभाव (Social Effect)

  • अब समाज में व्यक्तिगत सामर्थ्य एवं योग्यता पर बोल दिया जाने लगा, जिससे लोगों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक हुआ।
  • पुनर्जागरण के साथ-साथ नागरिक जीवन का महत्व बढ़ने लगा। समाज में नए विषयों का प्रसार होने से व्यक्ति अधिक शिक्षित एवं जागरूक होने लगा।
  • पुनर्जागरण में सामाजिक विषमताओं (Social Inequalities) के उन्मूलन पर बल दिया गया और कुलीन वर्गों के विशेषाधिकारों के विरोध में आवाज उठी। फलत: समाज में तनाव बढ़ने लगा। सामाजिक संस्थाओं और मूल्यों में मौलिक परिवर्तन होने लगा।

धार्मिक प्रभाव (Religious Effect)

  • बौद्धिक पुनर्जागरण का तात्कालिक प्रभाव मनुष्य के धार्मिक जीवन पर पड़ा। अब सामान्य लोग भी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझने में समर्थ हो गए।
  • पुनर्जागरण काल में मनुष्य प्रत्येक चीज को तर्क की कसौटी पर कसता था और उतरने पर ही उसे ग्रहण करता था। इस काल में अंधविश्वास, आस्था, पादरी वर्ग का जीवन एवं चर्च की गतिविधियों की आलोचनात्मक व्याख्या की जाने लगी। धीरे-धीरे चर्च का एक अधिकार टूटने लगा।पुनर्जागरण Renaissance Architecture

सांस्कृतिक प्रभाव:

  1. साहित्य (Literature)

  • पुनर्जागरणकालीन लौकिक भावना की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति साहित्य में होती है। इटली में साहित्य के क्षेत्र में दांते, पेट्रार्क और बुकासियों का नाम अग्रणी है।
  • दांते (1265 से 1321 ई.) को पुनर्जागरण का अग्रदूत एवं पुनर्जागरण काल का प्रथम व्यक्ति कहा गया है।
  • राष्ट्रीय भाषाओं के विकास की प्रक्रिया शुरू हुई। साहित्य में संवेदना एवं शिल्प दोनों के स्तर पर मौलिक परिवर्तन सामने आए।
  • मैकियावेली को आधुनिक चाणक्य भी कहा जाता है।
  • पेट्रार्क के शिष्य जियोवानी बुकासियों(1314-75) की प्रमुख कृति डेकामरॉन(Dakemerom) यह 100 कहानियों का संग्रह है।जियोवानी बुकासियों को इतालवी गद्य का पिता कहा जाता है। अपनी कहानियों के माध्यम से इन्होंने मानवता और दया का संदेश दिया।
  • माउंटेन के निबंध, चॉसर की लोक कथाएं (कैंटरबरी टेल्स) भी प्रमुख रचनाएं हैं। चॉसर ने लंबी कविता के रूप में सॉनेट को जन्म दिया। पुनर्जागरण की भावना को अभिव्यक्त करने वाला प्रसिद्ध साहित्यकार टॉमस मोरे (1778-1535 ई.) था, जिसकी प्रसिद्ध रचना यूटोपिया (Utopia) है। विलियम शेक्सपियर के साहित्य में अंग्रेजी भाषा का चरमोत्कर्ष देखने को मिलता है।

    पुनर्जागरण Renaissance
    पुनर्जागरण Renaissance
  1. स्थापत्य (Architecture)

  • पुनर्जागरण काल में स्थापत्य के क्षेत्र में भी पुनर्जागरण को अभिव्यक्ति मिली। 12वीं और 13वीं शताब्दियों में कैथेड्रलों और गिरजाघरों के निर्माण में गॉथिक शैली (Gothic architecture) को अपनाया गया था। कमानी छतें, नुकीली मेहराब और टेके इस स्थापत्य शैली की बुनियादी विशेषताएँ थी।
  • इस शैली में मेहराबों, गुंबदों और स्तंभों को प्रधानता दी गयी। नुकीले मेहराबों के स्थान पर गोल मेहराबों का निर्माण किया गया।

    पुनर्जागरण Renaissance Art
    पुनर्जागरण Renaissance Art
  1. संगीत (Music)

  • मध्यकाल में यूरोप के गिरजाघरों में संगीत वर्जित था। लेकिन जब मार्टिन लूथर (Martin Luther King) का नवीन धर्म अस्तित्व में आया तब गिरजाघरों में गीत संगीत की परंपरा का प्रादुर्भाव हुआ। स्वयं लूथर ने भी कुछ गीतों का संकलन प्रस्तुत किया।
  • 1554 ई. में इटली के विख्यात गायक गिवोआनी पालेस्ट्राइना (Giovanni Pierluigi Da Palestrina) ने सामूहिक संगीत पर अपनी रचना को प्रकाशित कराया। गिरजाघरों में गायी जाने वाली प्रार्थना को स्वर लिपि इसी में तैयार किया था जिसे पोप की स्वीकृति प्राप्त थी।
  • इस काल में वाद्द संगीत लोकप्रिय हो गया और नए वाद्य – यंत्रों का आविष्कार भी हुआ। आधुनिक ओपेरा (Opera) का जन्म इसी काल में हुआ। इसी के साथ-साथ पियानो और वायलिन का प्रचलन भी बढ़ गया।
  • पुनर्जागरण कालीन संगीतकारों ने ही कॉन्सर्ट, सीम्फनी, सोनाटा, ओरेटोरिया और ओपेरा के रूप में आधुनिक शास्त्रीय संगीत की आधारशिला रखी।
  1. मूर्तिकला (Sculpture)

  • पुनर्जागरण काल की मूर्तिकला में भी परिवर्तन के नए तत्व समाहित हुए। पुनर्जागरण पूर्व की मूर्तिकला जो सिर्फ धर्म से संबंधित थी। वहीं अब धर्म के साथ इसमें मानवीय तत्वों का भी समावेश हुआ।
  • पाइटा नमक मूर्ति बिल्कुल अपने नाम के अनुकूल है, क्योंकि उसको देखकर स्वत: ही करुणा जाग उठती है।
  1. चित्रकला (Painting)

    पुनर्जागरण Renaissance Monalisa Painting
    पुनर्जागरण Renaissance Monalisa Painting
  • इटली का पुनर्जागरण प्रमुख रूप से कला के क्षेत्र में हुआ। इसमें चित्रकारों, शिल्प और स्थापत्य की विशेष उन्नति हुई।
  • पुनर्जागरण काल के चित्रकारों ने विषयों का चुनाव आम जन – जीवन से किया। प्लास्टर और लकड़ी के पैनल के स्थान पर कैनवास का प्रयोग प्रारंभ हुआ।
  • पुनर्जागरण कालीन कलाकारों ने स्वच्छ रूप से विभिन्न रंगों का प्रयोग किया, इसलिए अत्यंत गहरे भड़कीले, चटकीले रंगों का भरपूर प्रयोग किया गया ।
  • मोनालिसा और द लास्ट सपर लियोनार्दो डा विंची की प्रमुख कृतियां है।
  1. विज्ञान (Science)

  • पुनर्जागरण काल में संदेह, प्रयोग, तर्क आदि के आधार पर प्रामाणिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक विधि का सूत्रपात हुआ जिसने आधुनिक विज्ञान के आधारशिला रखी।
  • नीदरलैंड के वेसेलियस को आधुनिक मानव शरीर रचना विज्ञान का जनक माना जाता है।
  • खगोल विज्ञान के अतिरिक्त चिकित्सा, रसायन, भौतिकी एवं गणितशास्त्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई।

इस तरह सत्रहवीं शताब्दी तक आधुनिक पश्चिमी के उद्भव की प्रक्रिया पूरी हो गई। जबकि पूर्वी विश्व अभी भी अपनी नींद से सो रहा था, यूरोप का व्यक्तित्वान्तर (personality change) हो चुका था। और उसकी नींद तब खुली जब पश्चिम उसके दरवाजे पर दस्तक दे रहा था।

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