भारत मालदीव संबंध India Maldives relations
भारत मालदीव संबंध (India Maldives relations), मित्रता और सहयोग पर आधारित है, इसे भारत के ऐतिहासिक समर्थन और लोगों के आपसी संबंधों द्वारा चिन्हित किया जा सकता है। इन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध है। दोनों देश साझा रूप से समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करते आए हैं। इसके अलावा दोनों देश आपसी रूप से विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण रखते हैं।
परंतु हाल ही में मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव के पश्चात, डॉक्टर मोहम्मद मुइज्जू मालदीव के नए राष्ट्रपति चुने गए। मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव को इंडिया फर्स्ट बनाम इंडिया आउट अभियान के बीच टकराव के रूप में देखा जा रहा था।
- मोहम्मद मुइज्जू की जीत को इंडिया आउट के तौर पर देखा जा रहा है। मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति चुनाव जीतते ही भारत के सैनिक अड्डों को वहां से हटाने का आदेश दिया इससे साफ तौर पर यह पता चलता है कि यह चुनाव इंडिया आउट बनाम इंडिया फर्स्ट के बीच था। और यह अभियान मालदीव की धरती पर भारतीय सेना की मौजूदगी के खिलाफ है।
- 2021 के फरवरी में भारत के साथ उथुरू थिला फाल्हू (UTF) बंदरगाह विकास समझौते पर हस्ताक्षर और दक्षिणी अट्टू एटोल (South Addu Atoll) में एक वाणिज्य दूतावास खोलने की भारत की घोषणा के बाद से ही भारत आउट अभियान में तेजी देखने को मिली।
- भारत आउट अभियान को विपक्षी पार्टियों द्वारा एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया तथा 2013-2018 के मध्य राष्ट्रपति रहे अब्दुल्ला यामीन तथा वर्तमान चुनाव में चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू द्वारा इस अभियान को प्रमुख समर्थन प्राप्त था।
- अब्दुल्ला यामीन अपने राष्ट्रपति रहते हुए चीन समर्थक थे, तथा उन्होंने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
- हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में हार गए, इब्राहिम मोहम्मद सोलिह इंडिया फर्स्ट नीति के समर्थक हैं। इसी के तहत मालदीव द्वारा सुरक्षा साझेदारी, सामाजिक विकास सहायता और कोविड-19 के टीकों की आपूर्ति के समय भारत को प्राथमिकता दी जाती रही है।
हाल में हुई घटनाओं के कारण उत्पन्न चिताओं का विश्लेषण करने के लिए भारत मालदीव संबंधों पर व्यापक दृष्टिकोण डालना आवश्यक है।
भारत मालदीव संबंध (India Maldives relations) की पृष्ठभूमि:
भारत मालदीव प्राचीन काल से ही निर्जातीय भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संपर्कों को साझा करते हैं। फरवरी 2012 से नवंबर 2018 के बीच की एक संक्षिप्त अवधि (जब मालदीप में चीन समर्थक सरकार थी) को छोड़कर दोनों देशों के बीच घनिष्ठ, सौहार्दपूर्ण और बहुआयामीसंबंध रहे हैं।
- लगभग 115 वर्ग मील के दायरे में विस्तृत 1200 कोरल दीपों का एक दीप समूह मालदीव, क्षेत्र और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से एशियाका सबसे छोटा देश है ।
- वर्ष 1965 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद भारत किस मान्यता देने और देश के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देश में से एक था।
- भारत ने 1972 में माले में अपना मिशन स्थापित किया।
- मालदीव के साथ भारत के संबंध किसी भी राजनीतिक रूप से विवादास्पद मुद्दों से मुक्त हैं।
- पूर्व में मिनिकॉय दीप पर मालदीप द्वारा दावा किया गया था, परंतु 1976 की समुद्री सीमा संधि द्वारा इसे हल किया गया।
- वर्ष 1988 में मालदीव में हुए तख्ता पलट के विरुद्ध गयुम की मदद करने के लिए भारत द्वारा सैनिक एवं जहाज (ऑपरेशन कैक्टस) केतहत भेजे गए थे।
- दिसंबर 2004 को सुनामी के पश्चात राहत और आपूर्ति लेकर मालदीव के इब्राहिम नासिर हवाई अड्डे पर उतरने वाला पहला डोर्नियरभारतीय तटरक्षक दल का था।
- दिसंबर 2014 में भारत ने मालदीव की राजधानी माले में ‘‘जल सहायता‘‘ भेजी जहां आग लगने के कारण उनके सबसे बड़े जल उपचारसंयंत्र का जनरेटर जलकर नष्ट हो गया था।
- लोकतांत्रिक उथल–पुथल के कारण 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की मालदीव की यात्रा को रद्द कर दिया गया था।
- राष्ट्रपति यामीन ने अप्रैल 2016 में भारत का दौरा किया।
- 2018 में राष्ट्रपति यामीन द्वारा आपातकाल की घोषणा से इस देश में स्थिति और अधिक खराब हो गयी थी।
सुरक्षा:
- भारतीय महासागर में मालदीप की अवस्थिति समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से इस महत्वपूर्ण बनती है। यह मलक्का और स्वेज जलसंधि केबीच के मार्ग के लगभग मध्य में स्थित है। मलक्का और स्वेज विश्व के व्यस्ततम व्यापार मार्ग है, और इन व्यापार मार्ग से होकर हजारोंकार्गो जहाज गुजरते हैं।
- इसके साथ ही केरल और लक्षद्वीप मालदीव दीपों के बहुत ही निकट स्थित है। भारत के विरुद्ध मालदीव क्षेत्र का संभावित उपयोग सदैवभारत की चिंता का विषय रहा है।
- भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता सूची में मालदीव का विशिष्ट स्थान है, क्योंकि हिंद महासागर में सोमालिया और मलक्काजलसंधि के निकट समुद्री डकैती के मामलों में वृद्धि हुई है। इसने हिंद महासागर में सुरक्षा की दृष्टि से मालदीव को नौसेना अड्डों कीस्थापना के लिए महत्वपूर्ण बना दिया है।
- इस विषय पर पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर की बैठक के दौरान, अक्टूबर 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव द्वारामाले में त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग पहल की शुरुआत की गयी। इस पहल में यह तीनों समुद्र तटीय राज्य आस – पड़ोस में समुद्रीसुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एकजुट हुए। 2013 और 2014 में इसकी दो अनुवर्ती बैठकें हुई।
- 2014 में यह निर्णय लिया गया कि आगामी बैठक मालदीव में आयोजित की जाएगी। हालांकि यह बैठक अभी संपन्न नहीं हुई है।
- रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए भारत ने अप्रैल 2016 में एक व्यापक रक्षा कार्य योजना (Action Plan for Defence) परहस्ताक्षर किए हैं।
- भारत द्वारा मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बल की लगभग 70% रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
- भारत में हिंद महासागर के लिए सागर (SAGAR) अर्थात, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (Security and Growth for all in the Region) का दृष्टिकोण अपनाया है।
- भारत ने मालदीव में तीन तटीय निगरानी रडार प्रणालियों की स्थापना की है, और इसी प्रकार की 10 और सुविधाएं स्थापित करने कीयोजना है। हालांकि इस दिशा में आगे की प्रगति मालदीव की हालिया घटनाक्रम के कारण निलंबित हो गई है।
- भारत और मालदीव एकुवेरिन ( Ekuverin), दोस्ती (Dosti), एकथा (Ekatha) और ऑपरेशन शील्ड जैसे कई सुरक्षा संयुक्त अभ्यास आयोजित करते हैं।
आर्थिक और विकास सहयोग:
भारत मालदीव का एक अग्रणी विकास भागीदार है। भारत द्वारा क्रियान्वित की गई प्रमुख विकास सहायता परियोजनाएं निम्नलिखित है।
- इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल वर्ष: 1995 में भारतीय अनुदान सहायता के द्वारा निर्मित।
- मालदीव इंस्टीट्यूट आफ टेक्निकल एजुकेशन (MITE): सितंबर 1996 में मालदीव को सौपा गया ।
- आतिथ्य और पर्यटन अध्ययन का भारत – मालदीव संकाय: सितंबर 2002 में आधारशिला रखी गई और फरवरी 2014 में इसे मालदीवको सौंप दिया गया।
- नेशनल सेंटर फॉर पुलिस एंड लॉ एनफोर्समेंट (NCPLE): यह मालदीव में भारत द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली सबसे बड़ी अनुदानपरियोजना है ।
- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट: प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति सोलिह ही ने अगस्त 2022 में ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का शुभारंभकिया। यह मालदीव की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है।
- वर्तमान में भारत ने मालदीव को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की स्टैंडबाई ऋण सुविधा (SCF) प्रदान की है। इसमें दीर्घकालिक ऋणऔर व्यापार के लिए रिवाल्विंग क्रेडिट भी सम्मिलित है ।
- भारत सरकार द्वारा मालदीव को प्रदत्त 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर की नयी लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत, भारत के ओवरसीज इंफ्रास्ट्रक्चर अलाइंस (OIA) को मालदीव में 485 आवासीय इकाइयों के निर्माण का अनुबंध किया है ।
- भारत और मालदीव ने 1981 में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जो आवश्यक वस्तुओं के निर्यात की अनुमति देता है।साधारण शुरुआत से आगे बढ़ते हुए।
- भारत मालदीव के बीच 2023 में 500 मिलियन डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है।
भारत मालदीव संबंध में पर्यटन सहयोग:
- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। मालदीव भारतीयों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। अनेक भारतीय मालदीव में रोजगाररत भी है।
- भारत में भी मालदीव के छात्र बड़ी संख्या में अध्ययन के लिए आते हैं। उन्हें भारत द्वारा वीजा सारणलीकरण समझौते के तहत सुविधा दीजाती है।
- मालदीव के नागरिक चिकित्सा के लिए भारत आते हैं।
मालदीव में लोकतांत्रिक संक्रमण:
- मॉमून अब्दुल गयूम 1978 से 2008 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे।
- 2008 में नागरिक समाज के दबाव में लोकतांत्रिक सुधार प्रारंभ किए गए और एक नया संविधान बनाया गया।
- 2008 में मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित प्रथम राष्ट्रपति बने। कुछ घटनाओं की एक श्रृंखला के पश्चात, जिन्हें कुछ लोगोंद्वारा तख्ता पलट की कार्रवाई कहा गया 2012 में उन्हें अपने पद को छोड़ने के लिए विवश किया गया।
- तब से हिंद महासागर का यह दीप समूह राजनीतिक संघर्ष का साक्षी रहा है।
- अपने उत्तराधिकारी के शासनकाल के दौरान अपनी गिरफ्तारी के भय से, नशीद ने एक बार भारतीय उच्चायोग में शरण ली थी।
- 2013 में अब्दुल यामीन राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
- 2015 में नशीद को आतंकवाद के आरोपों में 13 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई, उनको अपराधी ठहराए जाने की व्यापक निंदा भी हुई।2016 में मोहम्मद नशीद को UK में राजनीतिक शरण प्राप्त हुई।
- जून 2016 में, विपक्षी दलों ने यामीन को राष्ट्रपति पद से हटकर लोकतंत्र की बहाली के उद्देश्य से मालदीव संयुक्त विपक्षी दल का गठनकिया।
- हाल के दिनों में, भारत इस द्विपसमूह राष्ट्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं और विपक्ष पर हुए हमलों पर काफी हद तक चुप ही रहा है। जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित इस क्षेत्र में हित रखने वाले अधिकांश देशों में यामीन सरकार के अतिक्रमण की निंदा की है।
- फरवरी 2008 में, मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय ने मोहम्मद नशीद सहित 9 विपक्षी नेताओं को अपराधी ठहराए जाने के निर्णय को रद्दकर दिया और उनकी रिहाई का आदेश दिया।
- इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप राष्ट्रपति यामीन ने आपातकाल की घोषणा कर दी और मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और अन्य न्यायाधीशोंकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। इसने शेष तीन अन्य न्यायाधीश को विपक्षी दलों के नेताओं को रिहा करने के न्यायालय के आदेश कोवापस लेने पर विवश कर दिया।
- और 2023 के अंतिम महीनों में मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव के पश्चात डॉ. मोहम्मद मुइज्जू नए राष्ट्रपति चुने गए जिन्हें चीन समर्थकमाना जाता है।
हालिया परिदृश्य:
- चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के अंतर्गत मैरीटाइम सिल्क रोड परियोजना में मालदीव एक महत्वपूर्ण कड़ी है ।
- दिसंबर 2017 में, मालदीव ने चीन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- मालदीव ने चीन की मैरीटाइम सिल्क रोड परियोजना का समर्थन किया है। इस परियोजना का भारत द्वारा हिंद महासागर में रणनीतिक निहितार्थ के कारण विरोध किया गया है। मालदीप की रणनीति है कि वह अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाते हुए आर्थिक प्रगति करें।
- 2012 में माले द्वारा इब्राहिम नासिर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण के लिए 2010 में GMR के साथ हुए एक समझौते को समाप्त करने के पश्चात भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। GMR ने सरकार के निर्णय को चुनौती दी किंतु कानूनी लड़ाई के पश्चात हवाई अड्डे पर मालदीव एयरपोर्ट कंपनी लिमिटेड ने कब्जा कर लिया। मालदीव सरकार ने परियोजना को रद्द करने का कारण तत्कालीन राष्ट्रपति नशीद द्वारा अवैध रूप से अनुबंध प्रदान करना बताया था।
- मालदीव की भ्रष्टाचार के मामलों की निगरानी करने वाली संस्था ने GMR को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का पट्टा दिए जाने में किसी भी भ्रष्टाचार से इनकार किया है। बाद में हवाई अड्डे के विस्तार की इस परियोजना को अनुबंध चीनी कंपनी को दे दिया गया, जो इस परियोजना में 800 मिलियन अमेरिका डॉलर का निवेश करेगी ।
- इस बीच, GMR सिंगापुर स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल में मालदीव के विरुद्ध मध्यस्थता विवाद विजयी रहा जिसमें ट्रिब्यूनल ने कंपनी को मुआवजा के रूप में 270 मिलियन डॉलर की राशि का भुगतान किए जाने का आदेश दिया।
- मालदीव के चीन के साथ संबंधों से भारत असहज है। यह भी माना जा रहा है कि मालदीव द्वारा पारित नया कानून, जो कुछ निर्धारित शर्तों पर भूमि पर पूर्ण विदेशी स्वामित्व की अनुमति देता है, चीन को हिंद महासागर में अपने पांव जमाने और विस्तार करने में यह बहुत सहायक होगा।
- भारत की चिंता है कि चीन अपने रणनीतिक सहयोगी पाकिस्तान के साथ मिलकर मालदीव का उपयोग भारत को रणनीतिक रूप से अवरुद्ध करने के लिए कर सकता है।
- यहॉं तक की मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशिद ने भी कई बार मालदीव के चीन – समर्थक रूख पर टिप्पणी की है।
भारत और मालदीव संबंध में भविष्य की राह:
- फरवरी 2018 में, न्यायिक निर्णय तथा उसके बाद राष्ट्रपति यामीन द्वारा आपातकाल की घोषणा के परिणामस्वरुप उपजे संकट के दौरान निरंतर भारत द्वारा हस्तक्षेप किए जाने की मांग की जा रही थी। इस मुद्दे पर वैश्विक एवं क्षेत्रीय मत इस बात पर केंद्रित रहे की मालदीव में हस्तक्षेप करने के लिए भारत के पास कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध है।
- श्रीलंका में रह रहे निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से, मालदीव में न्यायाधीशों तथा राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के लिए भारतीय सेना द्वारा समर्थित एक प्रतिनिधि भेजने का अनुरोध किया था।
- भारत ने अपनी तरफ से आपातकाल की घोषणा तथा बाद में इसकी समय अवधि को बढ़ाए जाने पर निराशा व्यक्त की थी।
- 22 मार्च 2018 को आपातकाल हटाए जाने के निर्णय का भारत सरकार ने स्वागत किया। साथ ही भारत में मालदीव सरकार से संविधान के सभी प्रावधानों को पुनः स्थापित करने, सर्वोच्च न्यायालय एवं न्यायपालिका की अन्य शाखाओं को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कार्य करने की अनुमति देने, संसद की स्वतंत्रता एवं उचित कार्य प्रणाली को प्रोत्साहन देने एवं समर्थन करने, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व बेंच के 1 फरवरी 2018 के आदेश को लागू करने तथा सभी विपक्षी दलों के साथ एक ईमानदार राजनीतिक वार्ता को प्रोत्साहित करने का आव्हान किया।
- भारत की सुरक्षा मालदीव के साथ घनिष्ठता से अंतर्संबंधित है। इस दृष्टि से एक पड़ोसी देश के रूप में भारत एक ऐसे स्थिर, शांतिपूर्ण एवं समृद्ध मालदीव की कामना करता है जो अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूर्ण कर सके।
- इस संदर्भ में, भारत की स्थिति को समझने के लिए निम्नलिखित पहलू महत्वपूर्ण है:
- यूरोपीय संघ तथा अमेरिका जैसी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने भारत की स्थिति का अनुकरण किया है।
- यद्यपि यह आकर्षक प्रतीत होता है, तथापि प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को, 1988 के विपरीत कुछ समय के लिए खारिज कर दिया गया है। इसका कारण यह है कि हस्तक्षेप की मांग मालदीव की सरकार द्वारा नहीं अपितु विपक्ष द्वारा की गई है। इसके अतिरिक्त, इससे चीन तथा मालदीप के संबंधों में और अधिक निकटता आएगी।
- परंपरागत ज्ञान तथा हालिया अनुभव इस बात की पुष्टि करते हैं, कि बाहरी हस्तक्षेप प्रत्यक्ष या परोक्ष द्वारा थोपे गए सत्ता परिवर्तन का विफल होना तय है।
- साथ ही, कठोर कार्रवाई के विकल्प को इस आधार पर भी खारिज किया जा सकता था कि भारत यह सुनिश्चित नहीं कर सकता कि सत्ता परिवर्तन के पश्चात माले की नई सरकार भारतीय हितों के पक्ष में व्यवहार करेगी या नहीं।
- नई दिल्ली इस द्विपीय राष्ट्र में उत्पन्न होने वाले अस्थिरता के प्रति सजग है। यहां कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट (IS) द्वारा भी अपनी पैर जमाने का प्रयास किया जा रहा है।
- मालदीव एक नवजात लोकतंत्र है और अपनी संस्थाओं एवं क्षमता निर्माण को सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया में है। हाल के दिनों में ही मालदीव ने पहले भारत नीति को प्रदर्शित किया है।
- भारत को मालदीव की सरकार तथा वहां की जनता के मालदीप को एक स्थिर, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण एवं समृद्ध देश बनाने के प्रयासों में सहायता के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। भारत को इस संवेदनशील क्षेत्र में अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि अभी तक का घटनाक्रम मालदीव का एक घरेलू मुद्दा है, तथा देश के आंतरिक मामलों के दायरे के अंतर्गत आता है।
- इस संदर्भ में, भारत को हालिया घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए सुलह प्रक्रिया में सभी हित- धारकों के साथ सक्रिय रूप से संलग्न रहना चाहिए, जिससे कि सुनिश्चित किया जा सके की सभी हितधारक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ते रहेंगे।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ समन्वय में भारत के विकल्पों को बढ़ाएगा।
- अब यह देखा जाना शेष है कि भारत किस प्रकार, दक्षिण एशिया क्षेत्र में मुख्य सुरक्षा प्रदाता की अपनी स्थिति को मजबूत बनाते हुए इस क्षेत्र में चीन के हस्तक्षेप को रोक सकता है।
- जैसे-जैसे हिंद महासागर में भारत तथा चीन के मध्य रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी हमें बार-बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हमें इन परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए एक रचनात्मक एवं गतिशील रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
- जैसे कि नौसेना अध्यक्ष अरुण प्रकाश ने संकेत दिया था, की भूगोल तथा इतिहास के कुछ बुनियादी सिद्धांतों का स्मरण करना यहां आवश्यक है।
- माले से, निकटतम चीनी बंदरगाह हाइकु (हैनान), की हवाई दूरी 2700 मील तथा समुद्री दूरी 3400 मील है। इस दूरी को पार करने के लिए एक विमान को, तीन देशों के ऊपर से उड़ते हुए, 7 से 8 घंटे का समय लगेगा तथा समुद्री मार्ग से एक जहाज को माले पहुंचने में 8 से 10 दिन का समय लगेगा।
- वहीं माले तथा निकटतम भारतीय बंदरगाह/ हवाई अड्डे कोच्चि के बीच की 500 मील की दूरी को पार करने के लिए भारत से उड़ान का समय मात्र एक घंटा तथा समुद्र यात्रा का समय 24 घंटे से बस कुछ ही अधिक है।
2004 के सुनामी राहत प्रयास में भारतीय नौसेना का उत्कृष्ट प्रदर्शन इस बात को याद रखने हेतु पर्याप्त है, कि भारत भौगोलिक एवं लाक्षणिक दृष्टि से मालदीव के कितना निकट है।
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