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धर्म सुधार आंदोलन Religious Reform Movement UPSC 2024 Free Notes

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रिचय

धर्म सुधार आंदोलन को धार्मिक क्षेत्र में पुनर्जागरण का विस्तार मानना उचित नहीं है क्योंकि दोनों के आधार बहुत बातों में भिन्न हैं –

धर्म सुधार आंदोलन
  1. पुनर्जागरण की दृष्टि इहलौकिक एवं प्राकृतिक है जबकि धर्म सुधार आंदोलन की मुख्य चिंता पारलौकिक एवं आध्यात्मिक है।
  2. पुनर्जागरण का आभिजात्य आधार था जबकि धर्म सुधार आंदोलन को जनाधार प्राप्त था।
  3. पुनर्जागरण से जुड़े विचारक नागरिक मूल्यों एवं सहनशीलता में विश्वास करते थे, जबकि लूथर एवं काल्विन के अनुगामी आस्था को अधिक मूल्यवान मानते थे।
  4. एक दृष्टि से धर्मसुधार आंदोलन पुनर्जागरण  की तुलना में बड़ी तीव्रता से अतीत से संबंध विच्छेद करता है।

करण:

धर्म सुधार आंदोलन जर्मनी में ही क्यों ?

विशेषता:

प्रोटेस्टेंट आंदोलन के प्रमुख संप्रदाय (Important Sects of protestant Movement):

मार्टिन लूथर (Martin Luther)

Martin Luther

शोध पत्र की प्रमुख बातें –

शोध पत्र

ऑक्सबर्ग की संधि (Treaty of Augsburg)

प्रोटेस्टेंट धर्म उतरी जर्मन राज्यों, डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन और बाल्टिक राज्यों में तेजी से फैल गया। जेनेवा प्रोटेस्टेंट आंदोलन का प्रमुख केंद्र था।

हल्ड्रिच ज्विंगली (Huldrych Zwingli)

जॉन केल्विन (John Calvin):

यूरोपीय देशों में धर्म सुधार आंदोलन की प्रगति:

जर्मनी (Germany)

स्विट्ज़रलैंड (Switzerland)

स्पेन (Spain)

इंग्लैंड(England)

फ्रांस (France)

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

धर्म सुधार की सफलता:

प्रतिवादी धर्म सुधार आंदोलन:

ट्रेन्ट काउंसिल (Trent Council):

इन्क्वीजिशन (धार्मिक न्यायालय):

सोसाइटी ऑफ जीसस (Society of Jesus)

जेसुइट संघ (Jesuit Union)

 धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम :

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