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Flood बाढ़ Upsc 2024

Flood

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बाढ़ (Flood) क्या है ?

बाढ़ (Flood) किसी नदी के मार्ग के आसपास या समुद्र के तटवर्ती क्षेत्र में उच्च जल स्तर की स्थिति है, जिसके कारण भूमि जल से भर जाती है। भारत बाढ़ के प्रति अत्यधिक सुबह है राष्ट्रीय बढ़ आयोग के आकलन के अनुसार 329 मिलियन हेक्टेयर के कुल भौगोलिक क्षेत्र फल में से 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र बाढ़ वाला क्षेत्र है।

आकस्मिक बाढ़ क्या है:

बाढ़ के कारण:

City Flood

 

भारी वर्षा के पश्चात ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र से नीचे आए उच्च प्रवाह को अपने किनारो के भीतर सीमित रखने की नदियों की अपर्याप्त क्षमता सेबाढ़ आती है।अंधाधुन वनोन्मूलन, अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियां, प्राकृतिक जल निकासी चैनलों का अवरोध होना तथा बाढ़ के मैदानों और नदी प्रवाह मार्ग में जनसंख्या का बसाव आदि कुछ ऐसे मानवीय क्रियाकलाप है। जो बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और गंभीरता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।बाढ़ के कुछ कारण निम्नानुसार है।

प्राकृतिक कारण( Natural Causes)


हिम का पिघलना और हिमनद का पिघलना धीमी गति से चलने वाली प्रक्रियाएं हैं सामान्यतः इससे बड़ी बाढ़(Flood) नहीं आती है। लेकिन कभी-कभी हिमनदों में बड़ी मात्रा में ठहरा हुआ जल उपस्थित होता है जो हिमखंड पिघलने के साथ अचानक से बह सकता है। इससे ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड(GLOF) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

मानवजनित कारण:(Anthropogenic Causes)

भारत की बाढ़ (FLOOD) के संकट के प्रति सुभेद्दता:

बाढ़(flood) देश के लगभग सभी नदी बेसिनो में आती है। भारत में लगभग 12%(40 मिलियन हेक्टेयर) भूमि बाढ़ वाला क्षेत्र है। हमारे देश में 1200 मिली मीटर वार्षिक वर्षा होती है, जिसमें से 85% तीन-चार महीना अर्थात जून से सितंबर के दौरान होती है। तीव्र और आवधिक वर्षा के चलते देश की अधिकांश नदियों में भारी मात्रा में जल आ जाता है, जो उनकी वहन करने की क्षमता से अधिक होता है। इससे इस क्षेत्र में मामूली से लेकर गंभीर बाढ़ की स्थितियां उत्पन्न हो जाती है।

भारत में बाढ़(FLOOD) क्षेत्र का वितरण:

ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र:

इस क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र और बराक तथा उनकी सहायक नदियां प्रभावित होती है। यह क्षेत्र ,असम अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में फैला है। 

गंगा नदी क्षेत्र:

Ganga Flood

गंगा नदी की अनेक सहायक नदियां हैं। इनमें यमुना, सोन, घाघरा, गंडक, बुढी गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा आदि प्रमुख है। इनका प्रवाह क्षेत्र उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल के दक्षिणी और केंद्रीय भागों, हरियाणा के कुछ भागों, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में विस्तृत है।

उत्तर पश्चिम नदी क्षेत्र:

इस क्षेत्र की मुख्य नदियां सिंधु सतलज व्यास रवि चुनाव और झेलम है इनका प्रवाह क्षेत्र जम्मू कश्मीर पंजाब और हिमाचल प्रदेश हरियाणा और राजस्थान के कुछ भागों में विस्तृत है गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र की तुलना में इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या अपेक्षाकृत कम है।

मध्य और दक्कन भारत:

इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण नदियां नर्मदा, तापी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी है। इन नदियों को मार्ग अधिकांशतः सुनिश्चित और स्थाई है। इनमें इनके प्राकृतिक किनारों के भीतर, डेल्टा क्षेत्रों को छोड़कर शेष भागों में, बाढ़ के जल को प्रवाहित करने के लिए पर्याप्त क्षमता मौजूद है। इस क्षेत्र में उड़ीसा के कुछ नदियां महानदी, ब्राह्मणी, वैतरणी, स्वर्णरेखा प्रतिवर्ष बाढ़ ग्रस्त हो जाती है। इन्हें छोड़कर इस क्षेत्र में बाढ़ की कोई गंभीर समस्या नहीं है। मानसूनी दबाव और चक्रवाती तूफानों के चलते पूर्वी तट के राज्यों का डेल्टाई और तटीय क्षेत्र समय-समय पर बाढ़ और जल निकासी की समस्या का सामना करता है।

बाढ़(Flood) के परिणाम:

बाढ़(FLOOD) प्रबंधन पर National Disaster Management Authority के दिशा निर्देश

भारत में अभी तक प्रारंभ किए गए बाढ़ संरक्षण कार्यक्रमों का जोर मुख्य रूप से संरचनात्मक उपायों पर रहा है।

बाढ़(FLOOD) रोकथाम तैयारी और सामान:

संरचनात्मक उपाय(Structural Measure)

गैर संरचनात्मक उपाय:

 बाढ़ के मैदाने का जोनों में वर्गीकरण: यह बाढ़ से अधिकतम लाभ प्राप्ति हेतु बाढ़ के कारण होने वाली क्षती को सीमित करने के लिए बाढ़के मैदाने (टाल) में भूमि के उपयोग को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है।

फ्लड प्रूफिंग: यह संकट के अल्पिकरण (Mitigation) में सहायता करता है और बाढ़(flood) प्रवण क्षेत्र में जनसंख्या को तत्काल राहत प्रदान करताहै। यह संरचनात्मक परिवर्तन और आपातकालीन कार्यवाही का संयोजन है किंतु इसमें लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकलना सम्मिलितनहीं है। इसमें लोगों और मवेशियों के लिए बाढ़ आश्रय के लिए ऊंची समतल भूमि प्रदान करना, सार्वजनिक उपयोगितासंस्थापनाओं(Establishments), विशेष रूप से पीने के पानी के हैंडपंपों और बोरवेल का प्लेटफार्म बाढ़ के स्तर से ऊपर उठाना तथा दोमंजिला इमारतों का निर्माण प्रोत्साहित करना सम्मिलित है। जिसमें उपरी मंजिल का उपयोग बाढ़ के दौरान आश्रय स्थल के लिए किया जासकता है।

बाढ़(Flood) प्रबंधन योजनाएं: सभी सरकारी विभागों और एजेंसी को अपनी स्वयं की बाढ़ प्रबंधन योजनाएं योजनाएं तैयार करनी चाहिए।

भारत में बाढ़(flood0 का पूर्वानुमान और चेतावनी: बाढ़(FLOOD) पूर्वानुमान के लिए जल प्रवाह और वर्षा के रियल टाइम आंकड़े आधारभूत आवश्यकता है। अधिकांश जल मौसम विज्ञान संबंधी आंकड़े केंद्रीय जल आयोग के क्षेत्रीय केंद्रों का द्वारा प्रेक्षित और एकत्र किए जाते हैं। आईएमडी (IMD) दैनिक वर्षा संबंधी आंकड़े प्रदान करता है।

आपदा मित्र योजना: NDMA (National Disaster Management Authority) ने भारत के 25 राज्यों के 30 सर्वाधिक बाढ़ वाले जिलों में आपदा अनुक्रिया में समुदाय के स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण पर केंद्रित एक केंद्र प्रायोजित योजना को स्वीकृति दी है। इसका उद्देश्य समुदाय के स्वयंसेवकों को ऐसे कौशलों में प्रशिक्षित करना है जिनकी उन्हें बाढ़, आकस्मिक बाढ़ और शहरी बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थितियों में आधारभूत राहत और बचाव कार्यों के दौरान आवश्यकता होगी। इन कौशलों के माध्यम से वे आपातकालीन सेवाओं के तत्काल उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में अपने समुदाय की तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उचित अनुक्रिया करने में समर्थ हो सकेंगे।

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