Site icon Bharat Gk Blog

भूकंप Earthquake

भूकंप(Earthquake)

भूकंप(Earthquake)

भूकंप(Earthquake)क्या है ?

भूकंप(Earthquake)  के कारण:

भूकंपीय(Earthquake)  तरंग:

तरंगे भूकंप के परिणाम स्वरुप पृथ्वी से होकर गुजरती है और पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करने में सहायक होती है। पृथ्वी से दो प्रकार की तरंगे गुजरती है, P तरंगे और S तरंगे। P तरंगे तीव्र होती है, वे ठोस तरल दोनों में यात्रा कर सकती है। S तरंगे धीमी होती है और तरल पदार्थ के माध्यम से यात्रा नहीं कर सकती है।

प्राथमिक तरंगे (P – तरंगे):

द्वितीयक तरंगे S तरंगे:

सतही तरंगे (L तरंगे):

भारत में भूकंप(Earthquake) का जोखिम:

भारत में भूकंपों(Earthquake) का वितरण:

भूकंप(Earthquake) के परिणाम:

भूकंप(Earthquake) के संकट का शमन:

राष्ट्रीय भूकंप जोखिम शमन परियोजना (National Earthquake Risk Mitigation Project):

राष्ट्रीय भवन निर्माण संहिता(National Building Code):

भारत में भूकंप(Earthquake) शासन संबंधी वर्तमान गंभीर चुनौतियां:

भूकंप(Earthquake) प्रबंधन पर NDMA के दिशा निर्देश:

NDMA द्वारा जारी दिशा निर्देश भारत में भूकंप प्रबंधन की प्रभावशीलता में सुधार के लिए भूकंपीय सुरक्षा के 6 स्तंभों पर आधारित है।

  1.  नई संरचनाओं का भूकंपरोधी निर्माण: सभी केंद्रीय मंत्रालय एवं विभाग तथा राज्य सरकारें अपने प्रशासनिक क्षेत्र में आने वालीइमारतों और त्याश्यक व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण अन्य संरचनाओं जैसे की पुल, फ्लाईओवर, बंदरगाह, पत्तन आदि के लिएभूकंप से सुरक्षित डिजाइन एवं निर्माण हेतु प्रासंगिक मानकों के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाएँगे।
  1. चयनात्मक भूकंपीय सुदृद्धिकरण एवं वर्तमान प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण संरचनाओं तथा आवश्यक संरचनाओं की रेट्रोफिटिंग: सभीकेंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों द्वारा प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण संरचनाओं के भूकंपीय सुदृ़ढीकरण हेतु शहरी स्थानीयनिकायों(ULBs) तथा पंचायती राज संस्थाओं(PRIs) के माध्यम से कार्यक्रम तैयार करना आवश्यक है।इन संरचनाओं में राज भवन,विधानसभा, न्यायालय जैसी राष्ट्रीय महत्व की इमारतें, अकादमिक संस्थानों जैसे महत्वपूर्ण भवन, जलाशय एवं बांध जैसी सार्वजनिकसुविधाओं वाली संरचनाएं तथा पांच या अधिक मंजिल वाली बहुमंजिला इमारतें शामिल है। इन संरचनाओं की पहचान करने कीजिम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गई है।
  2. विनियमन एवं परिवर्तन: राज्य सरकारें भवन निर्माण संहिता एवं अन्य सुरक्षा संहिताओं के कार्यान्वन हेतु ऐसे तंत्र स्थापित करने हेतुउत्तरदायी है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बिल्डर, वास्तुविद(आक्ट्स), अभियंता एवं सरकारी विभागों जैसे सभी हितधारक निर्माणसंबंधी समस्त गतिविधियों में भूकंप सुरक्षा नियमों का पालन कर रहे हैं। गृह मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ समूह का गठन कियाथा। इस समूह ने शहरी एवं ग्रामीण नियोजन अधिनियमों, भूमि उपयोग जोनों में वर्गीकरण(zoning) हेतु विनियमों, विकास नियंत्रणविनियमों(DCRs) तथा भवन निर्माण उप – नियमों में संशोधन की संस्तुति की थी। ताकि इन्हें तकनीकी रूप से सुदृढ़ और विश्व स्तर परस्वीकृत मानदंडों के अनुरूप बनाया जा सके।
  3. जागरूकता एवं तैयारी: NDMA ने स्विकार किया है कि भूकंप संबंधी तैयारीइसके शमन हेतु सभी हितधारकों को जागरूक बनानासबसे अधिक चुनौती पूर्ण कार्यों में से एक है। यह भूकंप सुरक्षा पर पुस्तिकाओं (हैंडबुक्स), मकान मालिकों के लिए भूकंप सुरक्षानियमावलियों (मैनुएल्स), संरचनात्मक सुरक्षा लेखापरीक्षा पर एक नियमावली तथा आम जनता के लिए वीडियो फिल्में तैयार करने कीसंस्तुति करता है। यह स्थलीय क्षेत्रों के सुभेद्दता मानचित्रण तैयार करने तथा गैर सरकारी संगठनों(NGOs) एवं स्वंयसेवी समूहों केउचित नियोजन की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
  4. क्षमता विकास (शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं विकास क्षमता निर्माण एवं दस्तावेजीकरण): क्षमता विकास के लिए लक्षित समूहों मेंनिर्वाचित प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी, दृश्य एवं प्रिंट मीडिया के पेशेवर, शहरी नियोजन कार्यकर्ता, अभियंता, आर्किटेक्ट एवंबिल्डर,NGOs, समुदाय आधारित संगठन(CBOs), सामाजिक कार्यकर्ता, वैज्ञानिक, स्कूल शिक्षक एवं स्कूली बच्चे सम्मिलित है।
  5. आपातकालीन अनुक्रिया: अनुक्रिया संबंधी सभी गतिविधियां स्थानीय प्रशासन द्वारा समन्वित घटना कमान प्रणाली (Incident Command System) के माध्यम से संपादित की जाती है। इस प्रणाली में समुदाय, कॉरपोरेट क्षेत्र एवं विशेष टीमों की भागीदारीहोती है।

Read more – चक्रवात(Cyclone), Urban Flood, Cold waves,

Exit mobile version