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नागर शैली Nagara Style Free Notes 2024

गुप्त काल से भारतीय मंदिर वास्तुकला का प्रारंभ माना जाता है क्योंकि यही वह कल है जब मंदिर निर्माण में पाषाण का प्रयोग प्रारंभ हुआ। इससे मंदिरों में सुदृढ़ता एवं स्थायित्व आया।

मंदिरों के निर्माण की तकनीक एवं उसके स्वरूप पर कुछ ग्रंथ लिखे गए हैं जैसे- शिल्प-शास्त्र, वास्तु-शास्त्र, शिल्प-प्रकाश, मानसोल्लास, मानसार, वृहसंहिता, अपराजितपृच्छा, समरांगणसूत्रधार आदि

मंदिरों की शैलियॉं:

नागर शैली (Nagara Style)-

हम देख रहे हैं कि पूरा देश 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मना रहा  है। पर बहुत कम लोगों को यह पता हैकि, राम मंदिर नागर शैली (Nagara style) में बना हुआ है, उसकी विशेषता क्याक्या होती हैं तथा इसकी शुरुआत कब से हुई है ?

मंदिर की तीन शैलियां (नागर शैली)

नागर शैली (Nagara style) के मंदिर के तीन उपप्रकार शिखर के आकार पर निर्भर करते हैं-

  1. रेखा प्रसाद या लैटिना (Rekha Prasad or Latina)

  1. फमसाना या पीढ़ा प्रकार

  1.  वल्लभी प्रकार/ खाखर प्रकार (Vallabhi type)

नागर शैली (Nagara style) के अंतर्गत विकसित तीन उपशैलियाँ-

  1. उड़ीसा शैली (Odisha School)

    लिंगराज मंदिर Bhubaneswar, Odisha

  1. खजुराहो/ चंदेल शैली (Khujuraho/ Chandel school)

  1. सोलंकी/ चालुक्य शैली (Solanki School)

सूर्य मंदिर:

सूर्य मंदिर, मोढ़ेरा

मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर

मार्तंड सूर्य मंदिर

बेलाउर सूर्य मंदिर

झालरापाटन सूर्य मंदिर

औंगारी सूर्य मंदिर

कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के वंशज साम्ब कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। इसलिए उसने 12 जगहों पर भव्य सूर्य मंदिर बनवाए थे और भगवान सूर्य की आराधना की थी। ऐसा कहा जाता है की तब साम्ब को कुष्ठ से मुक्ति मिली थी। उन्ही 12 मंदिरों में औंकारी सूर्य मंदिर एक है।

उन्नाव का सूर्य मंदिर

रणकपुर सूर्य मंदिर

रांची सूर्य मंदिर

कटारमल सूर्य मंदिर: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कटारमल नामक स्थान पर अवस्थित है।

अरसवल्ली सूर्य मंदिर: अरसवल्ली आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में अवस्थित है।

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