नवंबर 1947 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने यूनाइटेड नेशन रेजल्यूशन 181 के माध्यम से फिलीस्तीन(Palestine) को यहूदी तथा अरब स्टेटस में विभाजित किया। इस रेजल्यूशन के तहत येरूसलम को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में रखा गया।

 अंततः 14 मई 1948 को इजराइल का निर्माण हुआ। इसके कारण अरब राष्ट्रों के साथ 8 महीने तक युद्ध चल

युद्ध के परिणामस्वरुप वेस्ट बैंक का सृजन हुआ, जिसके साथ–साथ पूर्वी येरुशलेम को जॉर्डन में तथा गाजा पट्टी को मिस्र में मिलाया गया।

– इजरायली बलों ने सितंबर 2005 में 38 वर्ष के अधिग्रहण के पश्चात गाजा को छोड़ा।

जून 2007 में, हमास (एक इस्लामी संगठन) में अब्बास के नेतृत्व वाले फतह गुट के अपने प्रतिद्वंदियों के साथ भीषण युद्ध केपश्चात गाजा पट्टी पर नियंत्रण स्थापित कर लिया

हमास एक फिलीस्तीनी इस्लामी राजनीतिक संगठन एवं आतंकवादीसमूह है जिसने 1987 में समूह की स्थापना के बाद से, इजरायल से युद्ध किया, विशेष रूप से आत्मघाती बमबारी तथा रॉकेटहमले के माध्यम से

यह इजराइल को फिलीस्तीन(Palestine) राष्ट्र के साथ बदलना चाहता है। यह फिलिस्तीनी सत्ता से स्वतंत्र होकर गाजा पर शासन करता है

भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय, इजरायल के लिए सुरक्षा तथा मान्यता के साथ, फिलिस्तीन मुद्दे पर शांतिपूर्ण वार्ता केमाध्यम से समाधान का समर्थन करता है। 

फिलिस्तीन विषयों के लिए सहानुभूति तथा फिलिस्तीन के लोगों के साथ मित्रता, भारत के विदेश नीति का एक अभिन्न अंग बन गई है। 

भारत प्रथम गैर – अरब राष्ट्र था जिसने 1974 में PLO को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र एवं वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी।

2018 में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत ने फिलिस्तीन की सहायता के रूप में कुल 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की।

प्रधानमंत्री ने अपनी 2018 की यात्रा के दौरान कहा कि भारत उम्मीद करता है कि फिलीस्तीन, शांतिपूर्ण वातावरण में शीघ्र ही एक संप्रभु एवं स्वतंत्र राष्ट्र बन जाएगा। 

प्रधानमंत्री मोदी की फिलिस्तीन की 2018 की यात्रा, 2014 में इजरायल की यात्रा की भांति एक एकल यात्रा थी। इस डी-हाइफेनेशन प्रक्रिया के निवृत्ति के रूप में देखा गया था।