भूकंप(Earthquake)  भू-पटल या भूपर्पटी का आकस्मिक कंपन है। भूकंप का प्रभाव आकस्मिक होता है और इसका पहले से कोई संकेत भी प्राप्त नहीं होता है, जिससे इसकी भविष्यवाणी करना असंभव हो जाता है।

भूकंप(Earthquake), मैंटल के ऊपर गतिशील प्लेटों की सीमाओं पर हुए संचलनों के कारण आता है।

भूकंप(Earthquake)  को दो विशिष्टया भिन्न पैमानों का प्रयोग करके मापा जाता है। यह भूकंप के परिमाण (रिक्टर स्केल द्वारा) तथा तीव्रता (मार्केली स्केल द्वारा) की जानकारी देते हैं।

तरंगे भूकंप के परिणाम स्वरुप पृथ्वी से होकर गुजरती है और पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करने में सहायक होती है।  

पृथ्वी से दो प्रकार की तरंगे गुजरती है, P तरंगे और S तरंगे। P तरंगे तीव्र होती है, वे ठोस तरल दोनों में यात्रा कर सकती है।

भूकंप(Earthquake)  के जोखिम में वृद्धि का कारण विकास गतिविधियों में आई तेजी है। यह तेजी शहरीकरण, आर्थिक विकास तथा भारत की अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण द्वारा प्रेरित है।

भारत प्रमुख रूप से अल्पाइन हिमालय बेल्ट (Alpine Himalayan Belt) पर स्थित है। यह बेल्ट वह रेखा है जिसके साथ इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से मिलती है। 

भूकंप की संभावित अधिकतम तीव्रता के अनुसार, भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों(Seismic Zones) में विभाजित किया जाता है। इनमें से जोन 5 सबसे अधिक सक्रिय है।  

इसमें संपूर्ण पूर्वोत्तर भारत, बिहार के उत्तरी भाग, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, गुजरात तथा अंडमान एवं निकोबर दीप समूह सम्मिलित है। 

संपूर्ण हिमालय क्षेत्र को रिक्टर स्केल पर 8.0 से अधिक परिमाण के उच्च तीव्रता वाले भूकंपों(Earthquake) के प्रति सूभेद्द माना जाता है। भारत का अधिकांश क्षेत्र जोन 3 और जोन 2 में आता है।