राम मंदिर को नागर शैली में ही क्यों बनाया गया ?

22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है तो आईए जानते हैं इस मंदिर की खासियत

उत्तर भारत में हिमालय से विंध्य के मध्य नागर शैली में मंदिर बनाए जाते हैं।

नागर मंदिरों का निर्माण ऊंचे चबूतरे या अधिष्ठान पर किया जाता है।

इन मंदिरों का गर्भगृह वर्गाकार होता है, गर्भगृह के ऊपर बना शिखर रेखा / आर्य शिखर कहलाता है।

शिखर के सर्वोच्च भाग पर आमलक एवं कलश बना होता है।

गर्भगृह के चारों तरफ अंतराल होता है जिसका प्रयोग प्रदक्षिणा पथ के रूप में किया जाता है।

बड़े नागर मंदिरों में गर्भगृह के सामने अन्य सहायक संरचनाओं जैसे- महामंडपम, मंडप, अर्धमण्डप, नृत्यमंडप, आदि बने होते हैं।

कुछ स्थानों पर नागर मंदिर पंचायतन शैली में बने होते हैं।

पंचायतन शैली में केंद्र में एक विशाल मंदिर तथा चारों कोनों पर सहायक देवी देवताओं के मंदिर बनाए जाते हैं।

नागर मंदिर के बाहरी भागों में पत्थर काटकर अनेक प्रकार की मूर्तियों से इन्हें सजाया जाता है, इन मूर्तियों में अनेक देवी देवताओं लोक विषयों से संबंधित मूर्ति होती हैं।

नागर मंदिर के बाहरी भागों में पत्थर काटकर अनेक प्रकार की मूर्तियों से इन्हें सजाया जाता है, इन मूर्तियों में अनेक देवी देवताओं लोक विषयों से संबंधित मूर्ति होती हैं।